माझं जग...माझं आभाळ

माझं जग...माझं आभाळ
थोडंसं वास्तव परिस्थिती पासून दूर जाऊन, कधी एक-एकट तर कधी कोणी सोबत घेऊन ...

Monday, November 22, 2010

क्या कहूं


क्या कहूं जान...
जिसे देखो तुम्हारे ही खयालों में डुबा हुआ है...
मेरा क्या है, मैं तो जी रहा हुं जुदा होकर
धडकने तो बस नाम की हैं, दिल तो कब का मरा हुआ हैं...

चलो कोई बात नही
सुना हैं, मरने के बाद ही सही
सुकुन तो मिल ही जायेगा...
घाव पुरा भरे न भरे उपर से तो सील जायेगा...

सभी कहने लगे हैं पीठपीछे
के बदल सा गया हुं...
हा मगर सच हैं तेरी दुनिया से दूर
अलग से रहने लगा हुं ...

राहे भी मोड रख्खी हैं गलीयो से तेरी ...
नजरे छुपा के चलता हुं नजरो से तेरी ...

डरता हुं कही तेरे नजरोसे टकरा न जाऊ...
मौत का डर नही, सोचता हुं कही फिरसे जिंदा न हो जाउ...

2 comments:

  1. aflaatoooooooooon

    maazya barobar raahun kahitari navin n chaagla shiktaay.

    keep it up....

    mi sadaiva tumchya barobar aahe

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  2. डरता हुं कही तेरे नजरोसे टकरा न जाऊ...
    मौत का डर नही, सोचता हुं कही फिरसे जिंदा न हो जाउ....

    हया ओळी खुपच भारी...

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